Wednesday, June 7, 2017

एक छोटा बीज

एक छोटा बीज, ज़मीन के अंदर था
आँख बंद करके, वो सोया रहता था

टिपुर टिपुर बारिश, बीज पे गिरती थी
सरकते सरकते सरकते, वो सरकता चला गया

एक समय आया, सूरज ने प्रकाश डाला
सूरज की किरणें बोली, अब तू बहुत सो लिया

बीज ने ली अंगड़ाई, और वो उठ गया
इधर उधर देखके वो नाचने लगा

एक छोटा पौधा, अब वृक्ष में बदल गया
आसपास के गाँव में वो छाँव देने लगा

आते जाते लोगों को वो छाँव देने लगा
आहा छाँव देने लगा, आहा  छाँव देने लगा

[My daughter performed this song in her first ever school gathering. She could sing it all very well and performed it superbly. Not only is the song beautiful, but my daughter's rendition makes it all the more lovely.]

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